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Surah Al-Mujadala Ayahs #14 Translated in Hindi

إِنَّمَا النَّجْوَىٰ مِنَ الشَّيْطَانِ لِيَحْزُنَ الَّذِينَ آمَنُوا وَلَيْسَ بِضَارِّهِمْ شَيْئًا إِلَّا بِإِذْنِ اللَّهِ ۚ وَعَلَى اللَّهِ فَلْيَتَوَكَّلِ الْمُؤْمِنُونَ
(बरी बातों की) सरगोशी तो बस एक शैतानी काम है (और इसलिए करते हैं) ताकि ईमानदारों को उससे रंज पहुँचे हालॉकि ख़ुदा की तरफ से आज़ादी दिए बग़ैर सरगोशी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सकती और मोमिनीन को तो ख़ुदा ही पर भरोसा रखना चाहिए
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا قِيلَ لَكُمْ تَفَسَّحُوا فِي الْمَجَالِسِ فَافْسَحُوا يَفْسَحِ اللَّهُ لَكُمْ ۖ وَإِذَا قِيلَ انْشُزُوا فَانْشُزُوا يَرْفَعِ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا مِنْكُمْ وَالَّذِينَ أُوتُوا الْعِلْمَ دَرَجَاتٍ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِيرٌ
ऐ ईमानदारों जब तुमसे कहा जाए कि मजलिस में जगह कुशादा करो वह तो कुशादा कर दिया करो ख़ुदा तुमको कुशादगी अता करेगा और जब तुमसे कहा जाए कि उठ खड़े हो तो उठ खड़े हुआ करो जो लोग तुमसे ईमानदार हैं और जिनको इल्म अता हुआ है ख़ुदा उनके दर्जे बुलन्द करेगा और ख़ुदा तुम्हारे सब कामों से बेख़बर है
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا إِذَا نَاجَيْتُمُ الرَّسُولَ فَقَدِّمُوا بَيْنَ يَدَيْ نَجْوَاكُمْ صَدَقَةً ۚ ذَٰلِكَ خَيْرٌ لَكُمْ وَأَطْهَرُ ۚ فَإِنْ لَمْ تَجِدُوا فَإِنَّ اللَّهَ غَفُورٌ رَحِيمٌ
ऐ ईमानदारों जब पैग़म्बर से कोई बात कान में कहनी चाहो तो कुछ ख़ैरात अपनी सरगोशी से पहले दे दिया करो यही तुम्हारे वास्ते बेहतर और पाकीज़ा बात है पस अगर तुमको इसका मुक़दूर न हो तो बेशक ख़ुदा बड़ा बख्शने वाला मेहरबान है
أَأَشْفَقْتُمْ أَنْ تُقَدِّمُوا بَيْنَ يَدَيْ نَجْوَاكُمْ صَدَقَاتٍ ۚ فَإِذْ لَمْ تَفْعَلُوا وَتَابَ اللَّهُ عَلَيْكُمْ فَأَقِيمُوا الصَّلَاةَ وَآتُوا الزَّكَاةَ وَأَطِيعُوا اللَّهَ وَرَسُولَهُ ۚ وَاللَّهُ خَبِيرٌ بِمَا تَعْمَلُونَ
(मुसलमानों) क्या तुम इस बात से डर गए कि (रसूल के) कान में बात कहने से पहले ख़ैरात कर लो तो जब तुम लोग (इतना सा काम) न कर सके और ख़ुदा ने तुम्हें माफ़ कर दिया तो पाबन्दी से नमाज़ पढ़ो और ज़कात देते रहो और ख़ुदा उसके रसूल की इताअत करो और जो कुछ तुम करते हो ख़ुदा उससे बाख़बर है
أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ تَوَلَّوْا قَوْمًا غَضِبَ اللَّهُ عَلَيْهِمْ مَا هُمْ مِنْكُمْ وَلَا مِنْهُمْ وَيَحْلِفُونَ عَلَى الْكَذِبِ وَهُمْ يَعْلَمُونَ
क्या तुमने उन लोगों की हालत पर ग़ौर नहीं किया जो उन लोगों से दोस्ती करते हैं जिन पर ख़ुदा ने ग़ज़ब ढाया है तो अब वह न तुम मे हैं और न उनमें ये लोग जानबूझ कर झूठी बातो पर क़समें खाते हैं और वह जानते हैं

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