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Surah Al-Hijr Ayahs #46 Translated in Hindi

إِنَّ عِبَادِي لَيْسَ لَكَ عَلَيْهِمْ سُلْطَانٌ إِلَّا مَنِ اتَّبَعَكَ مِنَ الْغَاوِينَ
जो मेरे मुख़लिस (ख़ास बन्दे) बन्दे हैं उन पर तुझसे किसी तरह की हुकूमत न होगी मगर हाँ गुमराहों में से जो तेरी पैरवी करे (उस पर तेरा वार चल जाएगा)
وَإِنَّ جَهَنَّمَ لَمَوْعِدُهُمْ أَجْمَعِينَ
और हाँ ये भी याद रहे कि उन सब के वास्ते (आख़िरी) वायदा बस जहन्न ुम है जिसके सात दरवाजे होगे
لَهَا سَبْعَةُ أَبْوَابٍ لِكُلِّ بَابٍ مِنْهُمْ جُزْءٌ مَقْسُومٌ
हर (दरवाज़े में जाने) के लिए उन गुमराहों की अलग अलग टोलियाँ होगीं
إِنَّ الْمُتَّقِينَ فِي جَنَّاتٍ وَعُيُونٍ
और परहेज़गार तो बेहश्त के बाग़ों और चश्मों मे यक़ीनन होंगे
ادْخُلُوهَا بِسَلَامٍ آمِنِينَ
(दाख़िले के वक्त फ़रिश्ते कहेगें कि) उनमें सलामती इत्मिनान से चले चलो

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