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Surah Al-Baqara Ayahs #213 Translated in Hindi

فَإِنْ زَلَلْتُمْ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَتْكُمُ الْبَيِّنَاتُ فَاعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ عَزِيزٌ حَكِيمٌ
फिर जब तुम्हारे पास रौशन दलीले आ चुकी उसके बाद भी डगमगा गए तो अच्छी तरह समझ लो कि ख़ुदा (हर तरह) ग़ालिब और तदबीर वाला है
هَلْ يَنْظُرُونَ إِلَّا أَنْ يَأْتِيَهُمُ اللَّهُ فِي ظُلَلٍ مِنَ الْغَمَامِ وَالْمَلَائِكَةُ وَقُضِيَ الْأَمْرُ ۚ وَإِلَى اللَّهِ تُرْجَعُ الْأُمُورُ
क्या वह लोग इसी के मुन्तज़िर हैं कि सफेद बादल के साय बानो की आड़ में अज़ाबे ख़ुदा और अज़ाब के फ़रिश्ते उन पर ही आ जाए और सब झगड़े चुक ही जाते हालॉकि आख़िर कुल उमुर ख़ुदा ही की तरफ रुजू किए जाएँगे
سَلْ بَنِي إِسْرَائِيلَ كَمْ آتَيْنَاهُمْ مِنْ آيَةٍ بَيِّنَةٍ ۗ وَمَنْ يُبَدِّلْ نِعْمَةَ اللَّهِ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَتْهُ فَإِنَّ اللَّهَ شَدِيدُ الْعِقَابِ
(ऐ रसूल) बनी इसराइल से पूछो कि हम ने उन को कैसी कैसी रौशन निशानियाँ दी और जब किसी शख्स के पास ख़ुदा की नेअमत (किताब) आ चुकी उस के बाद भी उस को बदल डाले तो बेशक़ ख़ुदा सख्त अज़ाब वाला है
زُيِّنَ لِلَّذِينَ كَفَرُوا الْحَيَاةُ الدُّنْيَا وَيَسْخَرُونَ مِنَ الَّذِينَ آمَنُوا ۘ وَالَّذِينَ اتَّقَوْا فَوْقَهُمْ يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ وَاللَّهُ يَرْزُقُ مَنْ يَشَاءُ بِغَيْرِ حِسَابٍ
जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उन के लिये दुनिया की ज़रा सी ज़िन्दगी ख़ूब अच्छी दिखायी गयी है और ईमानदारों से मसखरापन करते हैं हालॉकि क़यामत के दिन परहेज़गारों का दरजा उनसे (कहीं) बढ़ चढ़ के होगा और ख़ुदा जिस को चाहता है बे हिसाब रोज़ी अता फरमाता है
كَانَ النَّاسُ أُمَّةً وَاحِدَةً فَبَعَثَ اللَّهُ النَّبِيِّينَ مُبَشِّرِينَ وَمُنْذِرِينَ وَأَنْزَلَ مَعَهُمُ الْكِتَابَ بِالْحَقِّ لِيَحْكُمَ بَيْنَ النَّاسِ فِيمَا اخْتَلَفُوا فِيهِ ۚ وَمَا اخْتَلَفَ فِيهِ إِلَّا الَّذِينَ أُوتُوهُ مِنْ بَعْدِ مَا جَاءَتْهُمُ الْبَيِّنَاتُ بَغْيًا بَيْنَهُمْ ۖ فَهَدَى اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا لِمَا اخْتَلَفُوا فِيهِ مِنَ الْحَقِّ بِإِذْنِهِ ۗ وَاللَّهُ يَهْدِي مَنْ يَشَاءُ إِلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ
(पहले) सब लोग एक ही दीन रखते थे (फिर आपस में झगड़ने लगे तब) ख़ुदा ने नजात से ख़ुश ख़बरी देने वाले और अज़ाब से डराने वाले पैग़म्बरों को भेजा और इन पैग़म्बरों के साथ बरहक़ किताब भी नाज़िल की ताकि जिन बातों में लोग झगड़ते थे किताबे ख़ुदा (उसका) फ़ैसला कर दे और फिर अफ़सोस तो ये है कि इस हुक्म से इख्तेलाफ किया भी तो उन्हीं लोगों ने जिन को किताब दी गयी थी और वह भी जब उन के पास ख़ुदा के साफ एहकाम आ चुके उसके बाद और वह भी आपस की शरारत से तब ख़ुदा ने अपनी मेहरबानी से (ख़ालिस) ईमानदारों को वह राहे हक़ दिखा दी जिस में उन लोगों ने इख्तेलाफ डाल रखा था और ख़ुदा जिस को चाहे राहे रास्त की हिदायत करता है

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