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Surah Al-Baqara Ayahs #137 Translated in Hindi

أَمْ كُنْتُمْ شُهَدَاءَ إِذْ حَضَرَ يَعْقُوبَ الْمَوْتُ إِذْ قَالَ لِبَنِيهِ مَا تَعْبُدُونَ مِنْ بَعْدِي قَالُوا نَعْبُدُ إِلَٰهَكَ وَإِلَٰهَ آبَائِكَ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ إِلَٰهًا وَاحِدًا وَنَحْنُ لَهُ مُسْلِمُونَ
(ऐ यहूद) क्या तुम उस वक्त मौजूद थे जब याकूब के सर पर मौत आ खड़ी हुईउस वक्त उन्होंने अपने बेटों से कहा कि मेरे बाद किसी की इबादत करोगे कहने लगे हम आप के माबूद और आप के बाप दादाओं इबराहीम व इस्माइल व इसहाक़ के माबूद व यकता खुदा की इबादत करेंगे और हम उसके फरमाबरदार हैं
تِلْكَ أُمَّةٌ قَدْ خَلَتْ ۖ لَهَا مَا كَسَبَتْ وَلَكُمْ مَا كَسَبْتُمْ ۖ وَلَا تُسْأَلُونَ عَمَّا كَانُوا يَعْمَلُونَ
(ऐ यहूद) वह लोग थे जो चल बसे जो उन्होंने कमाया उनके आगे आया और जो तुम कमाओगे तुम्हारे आगे आएगा और जो कुछ भी वह करते थे उसकी पूछगछ तुमसे नहीं होगी
وَقَالُوا كُونُوا هُودًا أَوْ نَصَارَىٰ تَهْتَدُوا ۗ قُلْ بَلْ مِلَّةَ إِبْرَاهِيمَ حَنِيفًا ۖ وَمَا كَانَ مِنَ الْمُشْرِكِينَ
(यहूदी ईसाई मुसलमानों से) कहते हैं कि यहूद या नसरानी हो जाओ तो राहे रास्त पर आ जाओगे (ऐ रसूल उनसे) कह दो कि हम इबराहीम के तरीक़े पर हैं जो बातिल से कतरा कर चलते थे और मुशरेकीन से न थे
قُولُوا آمَنَّا بِاللَّهِ وَمَا أُنْزِلَ إِلَيْنَا وَمَا أُنْزِلَ إِلَىٰ إِبْرَاهِيمَ وَإِسْمَاعِيلَ وَإِسْحَاقَ وَيَعْقُوبَ وَالْأَسْبَاطِ وَمَا أُوتِيَ مُوسَىٰ وَعِيسَىٰ وَمَا أُوتِيَ النَّبِيُّونَ مِنْ رَبِّهِمْ لَا نُفَرِّقُ بَيْنَ أَحَدٍ مِنْهُمْ وَنَحْنُ لَهُ مُسْلِمُونَ
(और ऐ मुसलमानों तुम ये) कहो कि हम तो खुदा पर ईमान लाए हैं और उस पर जो हम पर नाज़िल किया गया (कुरान) और जो सहीफ़े इबराहीम व इसमाइल व इसहाक़ व याकूब और औलादे याकूब पर नाज़िल हुए थे (उन पर) और जो किताब मूसा व ईसा को दी गई (उस पर) और जो और पैग़म्बरों को उनके परवरदिगार की तरफ से उन्हें दिया गया (उस पर) हम तो उनमें से किसी (एक) में भी तफरीक़ नहीं करते और हम तो खुदा ही के फरमाबरदार हैं
فَإِنْ آمَنُوا بِمِثْلِ مَا آمَنْتُمْ بِهِ فَقَدِ اهْتَدَوْا ۖ وَإِنْ تَوَلَّوْا فَإِنَّمَا هُمْ فِي شِقَاقٍ ۖ فَسَيَكْفِيكَهُمُ اللَّهُ ۚ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ
पस अगर ये लोग भी उसी तरह ईमान लाए हैं जिस तरह तुम तो अलबत्ता राहे रास्त पर आ गए और अगर वह इस तरीके से मुँह फेर लें तो बस वह सिर्फ तुम्हारी ही ज़िद पर है तो (ऐ रसूल) उन (के शर) से (बचाने को) तुम्हारे लिए खुदा काफ़ी होगा और वह (सबकी हालत) खूब जानता (और) सुनता है

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