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Surah Yunus Ayahs #75 Translated in Hindi

وَاتْلُ عَلَيْهِمْ نَبَأَ نُوحٍ إِذْ قَالَ لِقَوْمِهِ يَا قَوْمِ إِنْ كَانَ كَبُرَ عَلَيْكُمْ مَقَامِي وَتَذْكِيرِي بِآيَاتِ اللَّهِ فَعَلَى اللَّهِ تَوَكَّلْتُ فَأَجْمِعُوا أَمْرَكُمْ وَشُرَكَاءَكُمْ ثُمَّ لَا يَكُنْ أَمْرُكُمْ عَلَيْكُمْ غُمَّةً ثُمَّ اقْضُوا إِلَيَّ وَلَا تُنْظِرُونِ
और (ऐ रसूल) तुम उनके सामने नूह का हाल पढ़ दो जब उन्होंने अपनी क़ौम से कहा ऐ मेरी क़ौम अगर मेरा ठहरना और ख़ुदा की आयतों का चर्चा करना तुम पर शाक़ व गिरां (बुरा) गुज़रता है तो मैं सिर्फ ख़ुदा ही पर भरोसा रखता हूँ तो तुम और तुमहारे शरीक़ सब मिलकर अपना काम ठीक कर लो फिर तुम्हारी बात तुम (में से किसी) पर महज़ (छुपी) न रहे फिर (जो तुम्हारा जी चाहे) मेरे साथ कर गुज़रों और गुझे (दम मारने की भी) मोहलत न दो
فَإِنْ تَوَلَّيْتُمْ فَمَا سَأَلْتُكُمْ مِنْ أَجْرٍ ۖ إِنْ أَجْرِيَ إِلَّا عَلَى اللَّهِ ۖ وَأُمِرْتُ أَنْ أَكُونَ مِنَ الْمُسْلِمِينَ
फिर भी अगर तुम ने (मेरी नसीहत से) मुँह मोड़ा तो मैने तुम से कुछ मज़दूरी तो न माँगी थी-मेरी मज़दूरी तो सिर्फ ख़ुदा ही पर है और (उसी की तरफ से) मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं उसके फरमाबरदार बन्दों में से हो जाऊँ
فَكَذَّبُوهُ فَنَجَّيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ وَجَعَلْنَاهُمْ خَلَائِفَ وَأَغْرَقْنَا الَّذِينَ كَذَّبُوا بِآيَاتِنَا ۖ فَانْظُرْ كَيْفَ كَانَ عَاقِبَةُ الْمُنْذَرِينَ
उस पर भी उन लोगों ने उनको झुठलाया तो हमने उनको और जो लोग उनके साथ कश्ती में (सवार) थे (उनको) नजात दी और उनको (अगलों का) जानशीन बनाया और जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया था उनको डुबो मारा
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْ بَعْدِهِ رُسُلًا إِلَىٰ قَوْمِهِمْ فَجَاءُوهُمْ بِالْبَيِّنَاتِ فَمَا كَانُوا لِيُؤْمِنُوا بِمَا كَذَّبُوا بِهِ مِنْ قَبْلُ ۚ كَذَٰلِكَ نَطْبَعُ عَلَىٰ قُلُوبِ الْمُعْتَدِينَ
फिर ज़रा ग़ौर तो करो फिर हमने नूह के बाद और रसूलों को अपनी क़ौम के पास भेजा तो वह पैग़म्बर उनके पास वाजेए (खुले हुए) व रौशन मौजिज़े लेकर आए इस पर भी जिस चीज़ को ये लोग पहले झुठला चुके थे उस पर ईमान (न लाना था) न लाए हम यूंही हद से गुज़र जाने वालों के दिलों पर (गोया) खुद मोहर कर देते हैं
ثُمَّ بَعَثْنَا مِنْ بَعْدِهِمْ مُوسَىٰ وَهَارُونَ إِلَىٰ فِرْعَوْنَ وَمَلَئِهِ بِآيَاتِنَا فَاسْتَكْبَرُوا وَكَانُوا قَوْمًا مُجْرِمِينَ
फिर हमने इन पैग़म्बरों के बाद मूसा व हारुन को अपनी निशानियाँ (मौजिज़े) लेकर फिरऔन और उस (की क़ौम) के सरदारों के पास भेजा तो वह लोग अकड़ बैठे और ये लोग थे ही कुसूरवार

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