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Surah Yunus Ayahs #55 Translated in Hindi

أَثُمَّ إِذَا مَا وَقَعَ آمَنْتُمْ بِهِ ۚ آلْآنَ وَقَدْ كُنْتُمْ بِهِ تَسْتَعْجِلُونَ
फिर क्या जब (तुम पर) आ चुकेगा तब उस पर ईमान लाओगे (आहा) क्या अब (ईमान लाए) हालॉकि तुम तो इसकी जल्दी मचाया करते थे
ثُمَّ قِيلَ لِلَّذِينَ ظَلَمُوا ذُوقُوا عَذَابَ الْخُلْدِ هَلْ تُجْزَوْنَ إِلَّا بِمَا كُنْتُمْ تَكْسِبُونَ
फिर (क़यामत के दिन) ज़ालिम लोगों से कहा जाएगा कि (अब हमेशा के अज़ाब के मजे चखो (दुनिया में) जैसी तुम्हारी करतूतें तुम्हें (आख़िरत में) वैसा ही बदला दिया जाएगा
وَيَسْتَنْبِئُونَكَ أَحَقٌّ هُوَ ۖ قُلْ إِي وَرَبِّي إِنَّهُ لَحَقٌّ ۖ وَمَا أَنْتُمْ بِمُعْجِزِينَ
(ऐ रसूल) तुम से लोग पूछतें हैं कि क्या (जो कुछ तुम कहते हो) वह सब ठीक है तुम कह दो (हाँ) अपने परवरदिगार की कसम ठीक है और तुम (ख़ुदा को) हरा नहीं सकते
وَلَوْ أَنَّ لِكُلِّ نَفْسٍ ظَلَمَتْ مَا فِي الْأَرْضِ لَافْتَدَتْ بِهِ ۗ وَأَسَرُّوا النَّدَامَةَ لَمَّا رَأَوُا الْعَذَابَ ۖ وَقُضِيَ بَيْنَهُمْ بِالْقِسْطِ ۚ وَهُمْ لَا يُظْلَمُونَ
और (दुनिया में) जिस जिसने (हमारी नाफरमानी कर के) ज़ुल्म किया है (क़यामत के दिन) अगर तमाम ख़ज़ाने जो जमीन में हैं उसे मिल जाएँ तो अपने गुनाह के बदले ज़रुर फिदया दे निकले और जब वह लोग अज़ाब को देखेगें तो इज़हारे निदामत करेगें (शर्मिंदा होंगे) और उनमें बाहम इन्साफ़ के साथ हुक्म दिया जाएगा और उन पर ज़र्रा (बराबर ज़ुल्म न किया जाएगा
أَلَا إِنَّ لِلَّهِ مَا فِي السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ ۗ أَلَا إِنَّ وَعْدَ اللَّهِ حَقٌّ وَلَٰكِنَّ أَكْثَرَهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
आगाह रहो कि जो कुछ आसमानों में और ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) ख़ुदा ही का है आग़ाह राहे कि ख़ुदा का वायदा यक़ीनी ठीक है मगर उनमें के अक्सर नहीं जानते हैं

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