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Surah Ibrahim Ayahs #29 Translated in Hindi

تُؤْتِي أُكُلَهَا كُلَّ حِينٍ بِإِذْنِ رَبِّهَا ۗ وَيَضْرِبُ اللَّهُ الْأَمْثَالَ لِلنَّاسِ لَعَلَّهُمْ يَتَذَكَّرُونَ
अपने परवरदिगार के हुक्म से हर वक्त फ़ला (फूला) रहता है और ख़ुदा लोगों के वास्ते (इसलिए) मिसालें बयान फरमाता है ताकि लोग नसीहत व इबरत हासिल करें
وَمَثَلُ كَلِمَةٍ خَبِيثَةٍ كَشَجَرَةٍ خَبِيثَةٍ اجْتُثَّتْ مِنْ فَوْقِ الْأَرْضِ مَا لَهَا مِنْ قَرَارٍ
और गन्दी बात (जैसे कलमाए शिर्क) की मिसाल गोया एक गन्दे दरख्त की सी है (जिसकी जड़ ऐसी कमज़ोर हो) कि ज़मीन के ऊपर ही से उखाड़ फेंका जाए (क्योंकि) उसको कुछ ठहराओ तो है नहीं
يُثَبِّتُ اللَّهُ الَّذِينَ آمَنُوا بِالْقَوْلِ الثَّابِتِ فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا وَفِي الْآخِرَةِ ۖ وَيُضِلُّ اللَّهُ الظَّالِمِينَ ۚ وَيَفْعَلُ اللَّهُ مَا يَشَاءُ
जो लोग पक्की बात (कलमा तौहीद) पर (सदक़ दिल से ईमान ला चुके उनको ख़ुदा दुनिया की ज़िन्दगी में भी साबित क़दम रखता है और आख़िरत में भी साबित क़दम रखेगा (और) उन्हें सवाल व जवाब में कोई वक्त न होगा और सरकशों को ख़ुदा गुमराही में छोड़ देता है और ख़ुदा जो चाहता है करता है
أَلَمْ تَرَ إِلَى الَّذِينَ بَدَّلُوا نِعْمَتَ اللَّهِ كُفْرًا وَأَحَلُّوا قَوْمَهُمْ دَارَ الْبَوَارِ
(ऐ रसूल) क्या तुमने उन लोगों के हाल पर ग़ौर नहीं किया जिन्होंने मेरे एहसान के बदले नाशुक्री की एख्तियार की और अपनी क़ौम को हलाकत के घरवाहे (जहन्नुम) में झोंक दिया
جَهَنَّمَ يَصْلَوْنَهَا ۖ وَبِئْسَ الْقَرَارُ
कि सबके सब जहन्नुम वासिल होगें और वह (क्या) बुरा ठिकाना है

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