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Surah Hud Ayahs #114 Translated in Hindi

وَلَقَدْ آتَيْنَا مُوسَى الْكِتَابَ فَاخْتُلِفَ فِيهِ ۚ وَلَوْلَا كَلِمَةٌ سَبَقَتْ مِنْ رَبِّكَ لَقُضِيَ بَيْنَهُمْ ۚ وَإِنَّهُمْ لَفِي شَكٍّ مِنْهُ مُرِيبٍ
और हमने मूसा को किताब तौरैत अता की तो उसमें (भी) झगड़े डाले गए और अगर तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हुक्म कोइ पहले ही न हो चुका होता तो उनके दरमियान (कब का) फैसला यक़ीनन हो गया होता और ये लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) भी इस (क़ुरान) की तरफ से बहुत गहरे शक़ में पड़े हैं
وَإِنَّ كُلًّا لَمَّا لَيُوَفِّيَنَّهُمْ رَبُّكَ أَعْمَالَهُمْ ۚ إِنَّهُ بِمَا يَعْمَلُونَ خَبِيرٌ
और इसमें तो शक़ ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार उनकी कारस्तानियों का बदला भरपूर देगा (क्योंकि) जो उनकी करतूतें हैं उससे वह खूब वाक़िफ है
فَاسْتَقِمْ كَمَا أُمِرْتَ وَمَنْ تَابَ مَعَكَ وَلَا تَطْغَوْا ۚ إِنَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ بَصِيرٌ
तो (ऐ रसूल) जैसा तुम्हें हुक्म दिया है तुम और वह लोग भी जिन्होंने तुम्हारे साथ (कुफ्र से) तौबा की है ठीक साबित क़दम रहो और सरकशी न करो (क्योंकि) तुम लोग जो कुछ भी करते हो वह यक़ीनन देख रहा है
وَلَا تَرْكَنُوا إِلَى الَّذِينَ ظَلَمُوا فَتَمَسَّكُمُ النَّارُ وَمَا لَكُمْ مِنْ دُونِ اللَّهِ مِنْ أَوْلِيَاءَ ثُمَّ لَا تُنْصَرُونَ
और (मुसलमानों) जिन लोगों ने (हमारी नाफरमानी करके) अपने ऊपर ज़ुल्म किया है उनकी तरफ माएल (झुकना) न होना और वरना तुम तक भी (दोज़ख़) की आग आ लपटेगी और ख़ुदा के सिवा और लोग तुम्हारे सरपरस्त भी नहीं हैं फिर तुम्हारी मदद कोई भी नहीं करेगा
وَأَقِمِ الصَّلَاةَ طَرَفَيِ النَّهَارِ وَزُلَفًا مِنَ اللَّيْلِ ۚ إِنَّ الْحَسَنَاتِ يُذْهِبْنَ السَّيِّئَاتِ ۚ ذَٰلِكَ ذِكْرَىٰ لِلذَّاكِرِينَ
और (ऐ रसूल) दिन के दोनो किनारे और कुछ रात गए नमाज़ पढ़ा करो (क्योंकि) नेकियाँ यक़ीनन गुनाहों को दूर कर देती हैं और (हमारी) याद करने वालो के लिए ये (बातें) नसीहत व इबरत हैं

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