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Surah Az-Zukhruf Ayahs #44 Translated in Hindi

أَفَأَنْتَ تُسْمِعُ الصُّمَّ أَوْ تَهْدِي الْعُمْيَ وَمَنْ كَانَ فِي ضَلَالٍ مُبِينٍ
तो (ऐ रसूल) क्या तुम बहरों को सुना सकते हो या अन्धे को और उस शख़्श को जो सरीही गुमराही में पड़ा हो रास्ता दिखा सकते हो (हरगिज़ नहीं)
فَإِمَّا نَذْهَبَنَّ بِكَ فَإِنَّا مِنْهُمْ مُنْتَقِمُونَ
तो अगर हम तुमको (दुनिया से) ले भी जाएँ तो भी हमको उनसे बदला लेना ज़रूरी है
أَوْ نُرِيَنَّكَ الَّذِي وَعَدْنَاهُمْ فَإِنَّا عَلَيْهِمْ مُقْتَدِرُونَ
या (तुम्हारी ज़िन्दगी ही में) जिस अज़ाब का हमने उनसे वायदा किया है तुमको दिखा दें तो उन पर हर तरह क़ाबू रखते हैं
فَاسْتَمْسِكْ بِالَّذِي أُوحِيَ إِلَيْكَ ۖ إِنَّكَ عَلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ
तो तुम्हारे पास जो वही भेजी गयी है तुम उसे मज़बूत पकड़े रहो इसमें शक़ नहीं कि तुम सीधी राह पर हो
وَإِنَّهُ لَذِكْرٌ لَكَ وَلِقَوْمِكَ ۖ وَسَوْفَ تُسْأَلُونَ
और ये (क़ुरान) तुम्हारे लिए और तुम्हारी क़ौम के लिए नसीहत है और अनक़रीब ही तुम लोगों से इसकी बाज़पुर्स की जाएगी

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