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Surah Ash-Shu'ara Ayahs #202 Translated in Hindi

وَلَوْ نَزَّلْنَاهُ عَلَىٰ بَعْضِ الْأَعْجَمِينَ
और अगर हम इस क़ुरान को किसी दूसरी ज़बान वाले पर नाज़िल करते
فَقَرَأَهُ عَلَيْهِمْ مَا كَانُوا بِهِ مُؤْمِنِينَ
और वह उन अरबो के सामने उसको पढ़ता तो भी ये लोग उस पर ईमान लाने वाले न थे
كَذَٰلِكَ سَلَكْنَاهُ فِي قُلُوبِ الْمُجْرِمِينَ
इसी तरह हमने (गोया ख़ुद) इस इन्कार को गुनाहगारों के दिलों में राह दी
لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ
ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे
فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी

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