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Surah Ash-Shu'ara Ayahs #205 Translated in Hindi

لَا يُؤْمِنُونَ بِهِ حَتَّىٰ يَرَوُا الْعَذَابَ الْأَلِيمَ
ये लोग जब तक दर्दनाक अज़ाब को न देख लेगें उस पर ईमान न लाएँगे
فَيَأْتِيَهُمْ بَغْتَةً وَهُمْ لَا يَشْعُرُونَ
कि वह यकायक इस हालत में उन पर आ पडेग़ा कि उन्हें ख़बर भी न होगी
فَيَقُولُوا هَلْ نَحْنُ مُنْظَرُونَ
(मगर जब अज़ाब नाज़िल होगा) तो वह लोग कहेंगे कि क्या हमें (इस वक्त क़ुछ) मोहलत मिल सकती है
أَفَبِعَذَابِنَا يَسْتَعْجِلُونَ
तो क्या ये लोग हमारे अज़ाब की जल्दी कर रहे हैं
أَفَرَأَيْتَ إِنْ مَتَّعْنَاهُمْ سِنِينَ
तो क्या तुमने ग़ौर किया कि अगर हम उनको सालो साल चैन करने दे

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