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Surah Ash-Shu'ara Ayahs #121 Translated in Hindi

قَالَ رَبِّ إِنَّ قَوْمِي كَذَّبُونِ
नूह ने अर्ज की परवरदिगार मेरी क़ौम ने यक़ीनन मुझे झुठलाया
فَافْتَحْ بَيْنِي وَبَيْنَهُمْ فَتْحًا وَنَجِّنِي وَمَنْ مَعِيَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
तो अब तू मेरे और इन लोगों के दरमियान एक क़तई फैसला कर दे और मुझे और जो मोमिनीन मेरे साथ हें उनको नजात दे
فَأَنْجَيْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ فِي الْفُلْكِ الْمَشْحُونِ
ग़रज़ हमने नूह और उनके साथियों को जो भरी हुई कश्ती में थे नजात दी
ثُمَّ أَغْرَقْنَا بَعْدُ الْبَاقِينَ
फिर उसके बाद हमने बाक़ी लोगों को ग़रक कर दिया
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ
बेशक इसमे भी यक़ीनन बड़ी इबरत है और उनमें से बहुतेरे ईमान लाने वाले ही न थे

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