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Surah Ash-Shu'ara Ayahs #105 Translated in Hindi

وَلَا صَدِيقٍ حَمِيمٍ
और न कोई दिलबन्द दोस्त हैं
فَلَوْ أَنَّ لَنَا كَرَّةً فَنَكُونَ مِنَ الْمُؤْمِنِينَ
तो काश हमें अब दुनिया में दोबारा जाने का मौक़ा मिलता तो हम (ज़रुर) ईमान वालों से होते
إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَةً ۖ وَمَا كَانَ أَكْثَرُهُمْ مُؤْمِنِينَ
इबराहीम के इस किस्से में भी यक़ीनन एक बड़ी इबरत है और इनमें से अक्सर ईमान लाने वाले थे भी नहीं
وَإِنَّ رَبَّكَ لَهُوَ الْعَزِيزُ الرَّحِيمُ
और इसमे तो शक ही नहीं कि तुम्हारा परवरदिगार (सब पर) ग़ालिब और बड़ा मेहरबान है
كَذَّبَتْ قَوْمُ نُوحٍ الْمُرْسَلِينَ
(यूँ ही) नूह की क़ौम ने पैग़म्बरो को झुठलाया

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