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Surah An-Naml Ayahs #35 Translated in Hindi

أَلَّا تَعْلُوا عَلَيَّ وَأْتُونِي مُسْلِمِينَ
(और मज़मून) यह है कि मुझ से सरकशी न करो और मेरे सामने फरमाबरदार बन कर हाज़िर हो
قَالَتْ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ أَفْتُونِي فِي أَمْرِي مَا كُنْتُ قَاطِعَةً أَمْرًا حَتَّىٰ تَشْهَدُونِ
तब मलका (विलक़ीस) बोली ऐ मेरे दरबार के सरदारों तुम मेरे इस मामले में मुझे राय दो (क्योंकि मेरा तो ये क़ायदा है कि) जब तक तुम लोग मेरे सामने मौजूद न हो (मशवरा न दे दो) मैं किसी अम्र में क़तई फैसला न किया करती
قَالُوا نَحْنُ أُولُو قُوَّةٍ وَأُولُو بَأْسٍ شَدِيدٍ وَالْأَمْرُ إِلَيْكِ فَانْظُرِي مَاذَا تَأْمُرِينَ
उन लोगों ने अर्ज़ की हम बड़े ज़ोरावर बडे लड़ने वाले हैं और (आइन्दा) हर अम्र का आप को एख्तियार है तो जो हुक्म दे आप (खुद अच्छी) तरह इसके अन्जाम पर ग़ौर कर ले
قَالَتْ إِنَّ الْمُلُوكَ إِذَا دَخَلُوا قَرْيَةً أَفْسَدُوهَا وَجَعَلُوا أَعِزَّةَ أَهْلِهَا أَذِلَّةً ۖ وَكَذَٰلِكَ يَفْعَلُونَ
मलका ने कहा बादशाहों का क़ायदा है कि जब किसी बस्ती में (बज़ोरे फ़तेह) दाख़िल हो जाते हैं तो उसको उजाड़ देते हैं और वहाँ के मुअज़िज़ लोगों को ज़लील व रुसवा कर देते हैं और ये लोग भी ऐसा ही करेंगे
وَإِنِّي مُرْسِلَةٌ إِلَيْهِمْ بِهَدِيَّةٍ فَنَاظِرَةٌ بِمَ يَرْجِعُ الْمُرْسَلُونَ
और मैं उनके पास (एलचियों की माअरफ़त कुछ तोहफा भेजकर देखती हूँ कि एलची लोग क्या जवाब लाते हैं) ग़रज़ जब बिलक़ीस का एलची (तोहफा लेकर) सुलेमान के पास आया

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