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Surah An-Najm Ayahs #42 Translated in Hindi

أَلَّا تَزِرُ وَازِرَةٌ وِزْرَ أُخْرَىٰ
जिन्होने (अपना हक़) (पूरा अदा) किया इन सहीफ़ों में ये है, कि कोई शख़्श दूसरे (के गुनाह) का बोझ नहीं उठाएगा
وَأَنْ لَيْسَ لِلْإِنْسَانِ إِلَّا مَا سَعَىٰ
और ये कि इन्सान को वही मिलता है जिसकी वह कोशिश करता है
وَأَنَّ سَعْيَهُ سَوْفَ يُرَىٰ
और ये कि उनकी कोशिश अनक़रीेब ही (क़यामत में) देखी जाएगी
ثُمَّ يُجْزَاهُ الْجَزَاءَ الْأَوْفَىٰ
फिर उसका पूरा पूरा बदला दिया जाएगा
وَأَنَّ إِلَىٰ رَبِّكَ الْمُنْتَهَىٰ
और ये कि (सबको आख़िर) तुम्हारे परवरदिगार ही के पास पहुँचना है

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