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Surah An-Nahl Ayahs #128 Translated in Hindi

وَإِنْ عَاقَبْتُمْ فَعَاقِبُوا بِمِثْلِ مَا عُوقِبْتُمْ بِهِ ۖ وَلَئِنْ صَبَرْتُمْ لَهُوَ خَيْرٌ لِلصَّابِرِينَ
और हिदायत याफ़ता लोगों से भी खूब वाक़िफ है और अगर (मुख़ालिफीन के साथ) सख्ती करो भी तो वैसी ही सख्ती करो जैसे सख्ती उन लोगों ने तुम पर की थी और अगर तुम सब्र करो तो सब्र करने वालों के वास्ते बेहतर हैं
وَاصْبِرْ وَمَا صَبْرُكَ إِلَّا بِاللَّهِ ۚ وَلَا تَحْزَنْ عَلَيْهِمْ وَلَا تَكُ فِي ضَيْقٍ مِمَّا يَمْكُرُونَ
और (ऐ रसूल) तुम सब्र ही करो (और ख़ुदा की (मदद) बग़ैर तो तुम सब्र कर भी नहीं सकते और उन मुख़ालिफीन के हाल पर तुम रंज न करो और जो मक्कारीयाँ ये लोग करते हैं उससे तुम तंग दिल न हो
إِنَّ اللَّهَ مَعَ الَّذِينَ اتَّقَوْا وَالَّذِينَ هُمْ مُحْسِنُونَ
जो लोग परहेज़गार हैं और जो लोग नेको कार हैं ख़ुदा उनका साथी है

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