Quran Apps in many lanuages:

Surah Al-Maeda Ayahs #109 Translated in Hindi

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا عَلَيْكُمْ أَنْفُسَكُمْ ۖ لَا يَضُرُّكُمْ مَنْ ضَلَّ إِذَا اهْتَدَيْتُمْ ۚ إِلَى اللَّهِ مَرْجِعُكُمْ جَمِيعًا فَيُنَبِّئُكُمْ بِمَا كُنْتُمْ تَعْمَلُونَ
ऐ ईमान वालों तुम अपनी ख़बर लो जब तुम राहे रास्त पर हो तो कोई गुमराह हुआ करे तुम्हें नुक़सान नहीं पहुँचा सकता तुम सबके सबको ख़ुदा ही की तरफ लौट कर जाना है तब (उस वक्त नेक व बद) जो कुछ (दुनिया में) करते थे तुम्हें बता देगा
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا شَهَادَةُ بَيْنِكُمْ إِذَا حَضَرَ أَحَدَكُمُ الْمَوْتُ حِينَ الْوَصِيَّةِ اثْنَانِ ذَوَا عَدْلٍ مِنْكُمْ أَوْ آخَرَانِ مِنْ غَيْرِكُمْ إِنْ أَنْتُمْ ضَرَبْتُمْ فِي الْأَرْضِ فَأَصَابَتْكُمْ مُصِيبَةُ الْمَوْتِ ۚ تَحْبِسُونَهُمَا مِنْ بَعْدِ الصَّلَاةِ فَيُقْسِمَانِ بِاللَّهِ إِنِ ارْتَبْتُمْ لَا نَشْتَرِي بِهِ ثَمَنًا وَلَوْ كَانَ ذَا قُرْبَىٰ ۙ وَلَا نَكْتُمُ شَهَادَةَ اللَّهِ إِنَّا إِذًا لَمِنَ الْآثِمِينَ
ऐ ईमान वालों जब तुममें से किसी (के सर) पर मौत खड़ी हो तो वसीयत के वक्त तुम (मोमिन) में से दो आदिलों की गवाही होनी ज़रुरी है और जब तुम इत्तेफाक़न कहीं का सफर करो और (सफर ही में) तुमको मौत की मुसीबत का सामना हो तो (भी) दो गवाह ग़ैर (मोमिन) सही (और) अगर तुम्हें शक़ हो तो उन दोनों को नमाज़ के बाद रोक लो फिर वह दोनों ख़ुदा की क़सम खाएँ कि हम इस (गवाही) के (ऐवज़ कुछ दाम नहीं लेंगे अगरचे हम जिसकी गवाही देते हैं हमारा अज़ीज़ ही क्यों न) हो और हम खुदा लगती गवाही न छुपाएँगे अगर ऐसा करें तो हम बेशक गुनाहगार हैं
فَإِنْ عُثِرَ عَلَىٰ أَنَّهُمَا اسْتَحَقَّا إِثْمًا فَآخَرَانِ يَقُومَانِ مَقَامَهُمَا مِنَ الَّذِينَ اسْتَحَقَّ عَلَيْهِمُ الْأَوْلَيَانِ فَيُقْسِمَانِ بِاللَّهِ لَشَهَادَتُنَا أَحَقُّ مِنْ شَهَادَتِهِمَا وَمَا اعْتَدَيْنَا إِنَّا إِذًا لَمِنَ الظَّالِمِينَ
अगर इस पर मालूम हो जाए कि वह दोनों (दरोग़ हलफ़ी (झूठी कसम) से) गुनाह के मुस्तहक़ हो गए तो दूसरे दो आदमी उन लोगों में से जिनका हक़ दबाया गया है और (मय्यत) के ज्यादा क़राबतदार हैं (उनकी तरवीद में) उनकी जगह खड़े हो जाएँ फिर दो नए गवाह ख़ुदा की क़सम खाएँ कि पहले दो गवाहों की निस्बत हमारी गवाही ज्यादा सच्ची है और हमने (हक़) नहीं छुपाया और अगर ऐसा किया हो तो उस वक्त बेशक हम ज़ालिम हैं
ذَٰلِكَ أَدْنَىٰ أَنْ يَأْتُوا بِالشَّهَادَةِ عَلَىٰ وَجْهِهَا أَوْ يَخَافُوا أَنْ تُرَدَّ أَيْمَانٌ بَعْدَ أَيْمَانِهِمْ ۗ وَاتَّقُوا اللَّهَ وَاسْمَعُوا ۗ وَاللَّهُ لَا يَهْدِي الْقَوْمَ الْفَاسِقِينَ
ये ज्यादा क़रीन क़यास है कि इस तरह पर (आख़ेरत के डर से) ठीक ठीक गवाही दें या (दुनिया की रूसवाई का) अन्देशा हो कि कहीं हमारी क़समें दूसरे फरीक़ की क़समों के बाद रद न कर दी जाएँ मुसलमानों ख़ुदा से डरो और (जी लगा कर) सुन लो और ख़ुदा बदचलन लोगों को मंज़िले मक़सूद तक नहीं पहुँचाता
يَوْمَ يَجْمَعُ اللَّهُ الرُّسُلَ فَيَقُولُ مَاذَا أُجِبْتُمْ ۖ قَالُوا لَا عِلْمَ لَنَا ۖ إِنَّكَ أَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوبِ
(उस वक्त क़ो याद करो) जिस दिन ख़ुदा अपने पैग़म्बरों को जमा करके पूछेगा कि (तुम्हारी उममत की तरफ से तबलीग़े एहकाम का) क्या जवाब दिया गया तो अर्ज क़रेगें कि हम तो (चन्द ज़ाहिरी बातों के सिवा) कुछ नहीं जानते तू तो खुद बड़ा ग़ैब वॉ है

Choose other languages: