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Surah Al-Kahf Ayahs #70 Translated in Hindi

قَالَ لَهُ مُوسَىٰ هَلْ أَتَّبِعُكَ عَلَىٰ أَنْ تُعَلِّمَنِ مِمَّا عُلِّمْتَ رُشْدًا
और हमने उसे इल्म लदुन्नी (अपने ख़ास इल्म) में से कुछ सिखाया था मूसा ने उन (ख़िज्र) से कहा क्या (आपकी इजाज़त है कि) मै इस ग़रज़ से आपके साथ साथ रहूँ
قَالَ إِنَّكَ لَنْ تَسْتَطِيعَ مَعِيَ صَبْرًا
कि जो रहनुमाई का इल्म आपको है (ख़ुदा की तरफ से) सिखाया गया है उसमें से कुछ मुझे भी सिखा दीजिए खिज्र ने कहा (मै सिखा दूँगा मगर) आपसे मेरे साथ सब्र न हो सकेगा
وَكَيْفَ تَصْبِرُ عَلَىٰ مَا لَمْ تُحِطْ بِهِ خُبْرًا
और (सच तो ये है) जो चीज़ आपके इल्मी अहाते से बाहर हो
قَالَ سَتَجِدُنِي إِنْ شَاءَ اللَّهُ صَابِرًا وَلَا أَعْصِي لَكَ أَمْرًا
उस पर आप सब्र क्योंकर कर सकते हैं मूसा ने कहा (आप इत्मिनान रखिए) अगर ख़ुदा ने चाहा तो आप मुझे साबिर आदमी पाएँगें
قَالَ فَإِنِ اتَّبَعْتَنِي فَلَا تَسْأَلْنِي عَنْ شَيْءٍ حَتَّىٰ أُحْدِثَ لَكَ مِنْهُ ذِكْرًا
और मै आपके किसी हुक्म की नाफरमानी न करुँगा खिज्र ने कहा अच्छा तो अगर आप को मेरे साथ रहना है तो जब तक मै खुद आपसे किसी बात का ज़िक्र न छेडँ

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