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Surah Al-Isra Ayahs #107 Translated in Hindi

فَأَرَادَ أَنْ يَسْتَفِزَّهُمْ مِنَ الْأَرْضِ فَأَغْرَقْنَاهُ وَمَنْ مَعَهُ جَمِيعًا
फिर फिरऔन ने ये ठान लिया कि बनी इसराईल को (सर ज़मीने) मिò से निकाल बाहर करे तो हमने फिरऔन और जो लोग उसके साथ थे सब को डुबो मारा
وَقُلْنَا مِنْ بَعْدِهِ لِبَنِي إِسْرَائِيلَ اسْكُنُوا الْأَرْضَ فَإِذَا جَاءَ وَعْدُ الْآخِرَةِ جِئْنَا بِكُمْ لَفِيفًا
और उसके बाद हमने बनी इसराईल से कहा कि (अब तुम ही) इस मुल्क में (खूब आराम से) रहो सहो फिर जब आख़िरत का वायदा आ पहुँचेगा तो हम तुम सबको समेट कर ले आएँगें
وَبِالْحَقِّ أَنْزَلْنَاهُ وَبِالْحَقِّ نَزَلَ ۗ وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا مُبَشِّرًا وَنَذِيرًا
और (ऐ रसूल) हमने इस क़ुरान को बिल्कुल ठीक नाज़िल किया और बिल्कुल ठीक नाज़िल हुआ और तुमको तो हमने (जन्नत की) खुशखबरी देने वाला और (अज़ाब से) डराने वाला (रसूल) बनाकर भेजा है
وَقُرْآنًا فَرَقْنَاهُ لِتَقْرَأَهُ عَلَى النَّاسِ عَلَىٰ مُكْثٍ وَنَزَّلْنَاهُ تَنْزِيلًا
और क़ुरान को हमने थोड़ा थोड़ा करके इसलिए नाज़िल किया कि तुम लोगों के सामने (ज़रुरत पड़ने पर) मोहलत दे देकर उसको पढ़ दिया करो
قُلْ آمِنُوا بِهِ أَوْ لَا تُؤْمِنُوا ۚ إِنَّ الَّذِينَ أُوتُوا الْعِلْمَ مِنْ قَبْلِهِ إِذَا يُتْلَىٰ عَلَيْهِمْ يَخِرُّونَ لِلْأَذْقَانِ سُجَّدًا
और (इसी वजह से) हमने उसको रफ्ता रफ्ता नाज़िल किया तुम कह दो कि ख्वाह तुम इस पर ईमान लाओ या न लाओ इसमें शक़ नहीं कि जिन लोगों को उसके क़ब्ल ही (आसमानी किताबों का इल्म अता किया गया है उनके सामने जब ये पढ़ा जाता है तो ठुडडियों से (मुँह के बल) सजदे में गिर पड़तें हैं

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