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Surah Al-Furqan Ayahs #57 Translated in Hindi

وَهُوَ الَّذِي مَرَجَ الْبَحْرَيْنِ هَٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ وَهَٰذَا مِلْحٌ أُجَاجٌ وَجَعَلَ بَيْنَهُمَا بَرْزَخًا وَحِجْرًا مَحْجُورًا
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने दरयाओं को आपस में मिला दिया (और बावजूद कि) ये खालिस मज़ेदार मीठा है और ये बिल्कुल खारी कड़वा (मगर दोनों को मिलाया) और दोनों के दरमियान एक आड़ और मज़बूत ओट बना दी है (कि गड़बड़ न हो)
وَهُوَ الَّذِي خَلَقَ مِنَ الْمَاءِ بَشَرًا فَجَعَلَهُ نَسَبًا وَصِهْرًا ۗ وَكَانَ رَبُّكَ قَدِيرًا
और वही तो वह (ख़ुदा) है जिसने पानी (मनी) से आदमी को पैदा किया फिर उसको ख़ानदान और सुसराल वाला बनाया और (ऐ रसूल) तुम्हारा परवरदिगार हर चीज़ पर क़ादिर है
وَيَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَنْفَعُهُمْ وَلَا يَضُرُّهُمْ ۗ وَكَانَ الْكَافِرُ عَلَىٰ رَبِّهِ ظَهِيرًا
और लोग (कुफ्फ़ारे मक्का) ख़ुदा को छोड़कर उस चीज़ की परसतिश करते हैं जो न उन्हें नफा ही दे सकती है और न नुक़सान ही पहुँचा सकती है और काफिर (अबूजहल) तो हर वक्त अपने परवरदिगार की मुख़ालेफत पर ज़ोर लगाए हुए है
وَمَا أَرْسَلْنَاكَ إِلَّا مُبَشِّرًا وَنَذِيرًا
और (ऐ रसूल) हमने तो तुमको बस (नेकी को जन्नत की) खुशख़बरी देने वाला और (बुरों को अज़ाब से) डराने वाला बनाकर भेजा है
قُلْ مَا أَسْأَلُكُمْ عَلَيْهِ مِنْ أَجْرٍ إِلَّا مَنْ شَاءَ أَنْ يَتَّخِذَ إِلَىٰ رَبِّهِ سَبِيلًا
और उन लोगों से तुम कह दो कि मै इस (तबलीगे रिसालत) पर तुमसे कुछ मज़दूरी तो माँगता नहीं हूँ मगर तमन्ना ये है कि जो चाहे अपने परवरदिगार तक पहुँचने की राह पकडे

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