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Surah Al-Araf Ayahs #33 Translated in Hindi

قُلْ أَمَرَ رَبِّي بِالْقِسْطِ ۖ وَأَقِيمُوا وُجُوهَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَادْعُوهُ مُخْلِصِينَ لَهُ الدِّينَ ۚ كَمَا بَدَأَكُمْ تَعُودُونَ
(ऐ रसूल) तुम कह दो कि मेरे परवरदिगार ने तो इन्साफ का हुक्म दिया है और (ये भी क़रार दिया है कि) हर नमाज़ के वक्त अपने अपने मुँह (क़िबले की तरफ़) सीधे कर लिया करो और इसके लिए निरी खरी इबादत करके उससे दुआ मांगो जिस तरह उसने तुम्हें शुरू शुरू पैदा किया था
فَرِيقًا هَدَىٰ وَفَرِيقًا حَقَّ عَلَيْهِمُ الضَّلَالَةُ ۗ إِنَّهُمُ اتَّخَذُوا الشَّيَاطِينَ أَوْلِيَاءَ مِنْ دُونِ اللَّهِ وَيَحْسَبُونَ أَنَّهُمْ مُهْتَدُونَ
उसी तरह फिर (दोबारा) ज़िन्दा किये जाओगे उसी ने एक फरीक़ की हिदायत की और एक गिरोह (के सर) पर गुमराही सवार हो गई उन लोगों ने ख़ुदा को छोड़कर शैतानों को अपना सरपरस्त बना लिया और बावजूद उसके गुमराह करते हैं कि वह राह रास्ते पर है
يَا بَنِي آدَمَ خُذُوا زِينَتَكُمْ عِنْدَ كُلِّ مَسْجِدٍ وَكُلُوا وَاشْرَبُوا وَلَا تُسْرِفُوا ۚ إِنَّهُ لَا يُحِبُّ الْمُسْرِفِينَ
ऐ औलाद आदम हर नमाज़ के वक्त बन सवर के निखर जाया करो और खाओ और पियो और फिज़ूल ख़र्ची मत करो (क्योंकि) ख़ुदा फिज़ूल ख़र्च करने वालों को दोस्त नहीं रखता
قُلْ مَنْ حَرَّمَ زِينَةَ اللَّهِ الَّتِي أَخْرَجَ لِعِبَادِهِ وَالطَّيِّبَاتِ مِنَ الرِّزْقِ ۚ قُلْ هِيَ لِلَّذِينَ آمَنُوا فِي الْحَيَاةِ الدُّنْيَا خَالِصَةً يَوْمَ الْقِيَامَةِ ۗ كَذَٰلِكَ نُفَصِّلُ الْآيَاتِ لِقَوْمٍ يَعْلَمُونَ
(ऐ रसूल से) पूछो तो कि जो ज़ीनत (के साज़ों सामान) और खाने की साफ सुथरी चीज़ें ख़ुदा ने अपने बन्दो के वास्ते पैदा की हैं किसने हराम कर दी तुम ख़ुद कह दो कि सब पाक़ीज़ा चीज़े क़यामत के दिन उन लोगों के लिए ख़ास हैं जो दुनिया की (ज़रा सी) ज़िन्दगी में ईमान लाते थे हम यूँ अपनी आयतें समझदार लोगों के वास्ते तफसीलदार बयान करतें हैं
قُلْ إِنَّمَا حَرَّمَ رَبِّيَ الْفَوَاحِشَ مَا ظَهَرَ مِنْهَا وَمَا بَطَنَ وَالْإِثْمَ وَالْبَغْيَ بِغَيْرِ الْحَقِّ وَأَنْ تُشْرِكُوا بِاللَّهِ مَا لَمْ يُنَزِّلْ بِهِ سُلْطَانًا وَأَنْ تَقُولُوا عَلَى اللَّهِ مَا لَا تَعْلَمُونَ
(ऐ रसूल) तुम साफ कह दो कि हमारे परवरदिगार ने तो तमाम बदकारियों को ख्वाह (चाहे) ज़ाहिरी हो या बातिनी और गुनाह और नाहक़ ज्यादती करने को हराम किया है और इस बात को कि तुम किसी को ख़ुदा का शरीक बनाओ जिनकी उनसे कोई दलील न ही नाज़िल फरमाई और ये भी कि बे समझे बूझे ख़ुदा पर बोहतान बॉधों

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