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Surah Al-Araf Ayahs #196 Translated in Hindi

وَلَا يَسْتَطِيعُونَ لَهُمْ نَصْرًا وَلَا أَنْفُسَهُمْ يَنْصُرُونَ
और न उनकी मदद की कुदरत रखते हैं और न आप अपनी मदद कर सकते हैं
وَإِنْ تَدْعُوهُمْ إِلَى الْهُدَىٰ لَا يَتَّبِعُوكُمْ ۚ سَوَاءٌ عَلَيْكُمْ أَدَعَوْتُمُوهُمْ أَمْ أَنْتُمْ صَامِتُونَ
और अगर तुम उन्हें हिदायत की तरफ बुलाओंगे भी तो ये तुम्हारी पैरवी नहीं करने के तुम्हारे वास्ते बराबर है ख्वाह (चाहे) तुम उनको बुलाओ या तुम चुपचाप बैठे रहो
إِنَّ الَّذِينَ تَدْعُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ عِبَادٌ أَمْثَالُكُمْ ۖ فَادْعُوهُمْ فَلْيَسْتَجِيبُوا لَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ صَادِقِينَ
बेशक वह लोग जिनकी तुम ख़ुदा को छोड़कर हाजत करते हो वह (भी) तुम्हारी तरह (ख़ुदा के) बन्दे हैं भला तुम उन्हें पुकार के देखो तो अगर तुम सच्चे हो तो वह तुम्हारी कुछ सुन लें
أَلَهُمْ أَرْجُلٌ يَمْشُونَ بِهَا ۖ أَمْ لَهُمْ أَيْدٍ يَبْطِشُونَ بِهَا ۖ أَمْ لَهُمْ أَعْيُنٌ يُبْصِرُونَ بِهَا ۖ أَمْ لَهُمْ آذَانٌ يَسْمَعُونَ بِهَا ۗ قُلِ ادْعُوا شُرَكَاءَكُمْ ثُمَّ كِيدُونِ فَلَا تُنْظِرُونِ
क्या उनके ऐसे पॉव भी हैं जिनसे चल सकें या उनके ऐसे हाथ भी हैं जिनसे (किसी चीज़ को) पकड़ सके या उनकी ऐसी ऑखे भी है जिनसे देख सकें या उनके ऐसे कान हैं जिनसे सुन सकें (ऐ रसूल उन लोगों से) कह दो कि तुम अपने बनाए हुए शरीको को बुलाओ फिर सब मिलकर मुझ पर दॉव चले फिर (मुझे) मोहलत न दो
إِنَّ وَلِيِّيَ اللَّهُ الَّذِي نَزَّلَ الْكِتَابَ ۖ وَهُوَ يَتَوَلَّى الصَّالِحِينَ
(फिर देखो मेरा क्या बना सकते हो) बेशक मेरा मालिक व मुमताज़ तो बस ख़ुदा है जिस ने किताब क़ुरान को नाज़िल फरमाया और वही (अपने) नेक बन्दों का हाली (मददगार) है

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