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Surah Al-Anfal Ayahs #24 Translated in Hindi

يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا أَطِيعُوا اللَّهَ وَرَسُولَهُ وَلَا تَوَلَّوْا عَنْهُ وَأَنْتُمْ تَسْمَعُونَ
(ऐ ईमानदारों खुदा और उसके रसूल की इताअत करो और उससे मुँह न मोड़ो जब तुम समझ रहे हो
وَلَا تَكُونُوا كَالَّذِينَ قَالُوا سَمِعْنَا وَهُمْ لَا يَسْمَعُونَ
और उन लोगों के ऐसे न हो जाओं जो (मुँह से तो) कहते थे कि हम सुन रहे हैं हालाकि वह सुनते (सुनाते ख़ाक) न थे
إِنَّ شَرَّ الدَّوَابِّ عِنْدَ اللَّهِ الصُّمُّ الْبُكْمُ الَّذِينَ لَا يَعْقِلُونَ
इसमें शक़ नहीं कि ज़मीन पर चलने वाले तमाम हैवानात से बदतर ख़ुदा के नज़दीक वह बहरे गूँगे (कुफ्फार) हैं जो कुछ नहीं समझते
وَلَوْ عَلِمَ اللَّهُ فِيهِمْ خَيْرًا لَأَسْمَعَهُمْ ۖ وَلَوْ أَسْمَعَهُمْ لَتَوَلَّوْا وَهُمْ مُعْرِضُونَ
और अगर ख़ुदा उनमें नेकी (की बू भी) देखता तो ज़रूर उनमें सुनने की क़ाबलियत अता करता मगर ये ऐसे हैं कि अगर उनमें सुनने की क़ाबिलयत भी देता तो मुँह फेर कर भागते।
يَا أَيُّهَا الَّذِينَ آمَنُوا اسْتَجِيبُوا لِلَّهِ وَلِلرَّسُولِ إِذَا دَعَاكُمْ لِمَا يُحْيِيكُمْ ۖ وَاعْلَمُوا أَنَّ اللَّهَ يَحُولُ بَيْنَ الْمَرْءِ وَقَلْبِهِ وَأَنَّهُ إِلَيْهِ تُحْشَرُونَ
ऐ ईमानदार जब तुम को हमारा रसूल (मोहम्मद) ऐसे काम के लिए बुलाए जो तुम्हारी रूहानी ज़िन्दगी का बाइस हो तो तुम ख़ुदा और रसूल के हुक्म दिल से कुबूल कर लो और जान लो कि ख़ुदा वह क़ादिर मुतलिक़ है कि आदमी और उसके दिल (इरादे) के दरमियान इस तरह आ जाता है और ये भी समझ लो कि तुम सबके सब उसके सामने हाज़िर किये जाओगे

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