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Surah Al-Anbiya Ayahs #68 Translated in Hindi

فَرَجَعُوا إِلَىٰ أَنْفُسِهِمْ فَقَالُوا إِنَّكُمْ أَنْتُمُ الظَّالِمُونَ
इस पर उन लोगों ने अपने जी में सोचा तो (एक दूसरे से) कहने लगे बेशक तुम ही लोग खुद बर सरे नाहक़ हो
ثُمَّ نُكِسُوا عَلَىٰ رُءُوسِهِمْ لَقَدْ عَلِمْتَ مَا هَٰؤُلَاءِ يَنْطِقُونَ
फिर उन लोगों के सर इसी गुमराही में झुका दिए गए (और तो कुछ बन न पड़ा मगर ये बोले) तुमको तो अच्छी तरह मालूम है कि ये बुत बोला नहीं करते
قَالَ أَفَتَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ مَا لَا يَنْفَعُكُمْ شَيْئًا وَلَا يَضُرُّكُمْ
(फिर इनसे क्या पूछे) इबराहीम ने कहा तो क्या तुम लोग खुदा को छोड़कर ऐसी चीज़ों की परसतिश करते हो जो न तुम्हें कुछ नफा ही पहुँचा सकती है और न तुम्हारा कुछ नुक़सान ही कर सकती है
أُفٍّ لَكُمْ وَلِمَا تَعْبُدُونَ مِنْ دُونِ اللَّهِ ۖ أَفَلَا تَعْقِلُونَ
तफ है तुम पर उस चीज़ पर जिसे तुम खुदा के सिवा पूजते हो तो क्या तुम इतना भी नहीं समझते
قَالُوا حَرِّقُوهُ وَانْصُرُوا آلِهَتَكُمْ إِنْ كُنْتُمْ فَاعِلِينَ
(आख़िर) वह लोग (बाहम) कहने लगे कि अगर तुम कुछ कर सकते हो तो इबराहीम को आग में जला दो और अपने खुदाओं की मदद करो

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