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Surah Al-Ahqaf Ayahs #28 Translated in Hindi

فَلَمَّا رَأَوْهُ عَارِضًا مُسْتَقْبِلَ أَوْدِيَتِهِمْ قَالُوا هَٰذَا عَارِضٌ مُمْطِرُنَا ۚ بَلْ هُوَ مَا اسْتَعْجَلْتُمْ بِهِ ۖ رِيحٌ فِيهَا عَذَابٌ أَلِيمٌ
तो जब उन लोगों ने इस (अज़ाब) को देखा कि वबाल की तरह उनके मैदानों की तरफ उम्ड़ा आ रहा है तो कहने लगे ये तो बादल है जो हम पर बरस कर रहेगा (नहीं) बल्कि ये वह (अज़ाब) जिसकी तुम जल्दी मचा रहे थे (ये) वह ऑंधी है जिसमें दर्दनाक (अज़ाब) है
تُدَمِّرُ كُلَّ شَيْءٍ بِأَمْرِ رَبِّهَا فَأَصْبَحُوا لَا يُرَىٰ إِلَّا مَسَاكِنُهُمْ ۚ كَذَٰلِكَ نَجْزِي الْقَوْمَ الْمُجْرِمِينَ
जो अपने परवरदिगार के हुक्म से हर चीज़ को तबाह व बरबाद कर देगी तो वह ऐसे (तबाह) हुए कि उनके घरों के सिवा कुछ नज़र ही नहीं आता था हम गुनाहगारों की यूँ ही सज़ा किया करते हैं
وَلَقَدْ مَكَّنَّاهُمْ فِيمَا إِنْ مَكَّنَّاكُمْ فِيهِ وَجَعَلْنَا لَهُمْ سَمْعًا وَأَبْصَارًا وَأَفْئِدَةً فَمَا أَغْنَىٰ عَنْهُمْ سَمْعُهُمْ وَلَا أَبْصَارُهُمْ وَلَا أَفْئِدَتُهُمْ مِنْ شَيْءٍ إِذْ كَانُوا يَجْحَدُونَ بِآيَاتِ اللَّهِ وَحَاقَ بِهِمْ مَا كَانُوا بِهِ يَسْتَهْزِئُونَ
और हमने उनको ऐसे कामों में मक़दूर दिये थे जिनमें तुम्हें (कुछ भी) मक़दूर नहीं दिया और उन्हें कान और ऑंख और दिल (सब कुछ दिए थे) तो चूँकि वह लोग ख़ुदा की आयतों से इन्कार करने लगे तो न उनके कान ही कुछ काम आए और न उनकी ऑंखें और न उनके दिल और जिस (अज़ाब) की ये लोग हँसी उड़ाया करते थे उसने उनको हर तरफ से घेर लिया
وَلَقَدْ أَهْلَكْنَا مَا حَوْلَكُمْ مِنَ الْقُرَىٰ وَصَرَّفْنَا الْآيَاتِ لَعَلَّهُمْ يَرْجِعُونَ
और (ऐ अहले मक्का) हमने तुम्हारे इर्द गिर्द की बस्तियों को हलाक कर मारा और (अपनी क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ तरह तरह से दिखा दी ताकि ये लोग बाज़ आएँ (मगर कौन सुनता है)
فَلَوْلَا نَصَرَهُمُ الَّذِينَ اتَّخَذُوا مِنْ دُونِ اللَّهِ قُرْبَانًا آلِهَةً ۖ بَلْ ضَلُّوا عَنْهُمْ ۚ وَذَٰلِكَ إِفْكُهُمْ وَمَا كَانُوا يَفْتَرُونَ
तो ख़ुदा के सिवा जिन को उन लोगों ने तक़र्रुब (ख़ुदा) के लिए माबूद बना रखा था उन्होंने (अज़ाब के वक्त) उनकी क्यों न मदद की बल्कि वह तो उनसे ग़ायब हो गये और उनके झूठ और उनकी (इफ़तेरा) परदाज़ियों की ये हक़ीक़त थी

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