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Surah Ya-Seen Ayahs #38 Translated in Hindi

وَجَعَلْنَا فِيهَا جَنَّاتٍ مِنْ نَخِيلٍ وَأَعْنَابٍ وَفَجَّرْنَا فِيهَا مِنَ الْعُيُونِ
और हम ही ने ज़मीन में छुहारों और अंगूरों के बाग़ लगाए और हमही ने उसमें पानी के चशमें जारी किए
لِيَأْكُلُوا مِنْ ثَمَرِهِ وَمَا عَمِلَتْهُ أَيْدِيهِمْ ۖ أَفَلَا يَشْكُرُونَ
ताकि लोग उनके फल खाएँ और कुछ उनके हाथों ने उसे नहीं बनाया (बल्कि खुदा ने) तो क्या ये लोग (इस पर भी) शुक्र नहीं करते
سُبْحَانَ الَّذِي خَلَقَ الْأَزْوَاجَ كُلَّهَا مِمَّا تُنْبِتُ الْأَرْضُ وَمِنْ أَنْفُسِهِمْ وَمِمَّا لَا يَعْلَمُونَ
वह (हर ऐब से) पाक साफ है जिसने ज़मीन से उगने वाली चीज़ों और खुद उन लोगों के और उन चीज़ों के जिनकी उन्हें ख़बर नहीं सबके जोड़े पैदा किए
وَآيَةٌ لَهُمُ اللَّيْلُ نَسْلَخُ مِنْهُ النَّهَارَ فَإِذَا هُمْ مُظْلِمُونَ
और मेरी क़ुदरत की एक निशानी रात है जिससे हम दिन को खींच कर निकाल लेते (जाएल कर देते) हैं तो उस वक्त ये लोग अंधेरे में रह जाते हैं
وَالشَّمْسُ تَجْرِي لِمُسْتَقَرٍّ لَهَا ۚ ذَٰلِكَ تَقْدِيرُ الْعَزِيزِ الْعَلِيمِ
और (एक निशानी) आफताब है जो अपने एक ठिकाने पर चल रहा है ये (सबसे) ग़ालिब वाक़िफ (खुदा) का (बाँद्दा हुआ) अन्दाज़ा है

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