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Surah Maryam Ayahs #15 Translated in Hindi

فَخَرَجَ عَلَىٰ قَوْمِهِ مِنَ الْمِحْرَابِ فَأَوْحَىٰ إِلَيْهِمْ أَنْ سَبِّحُوا بُكْرَةً وَعَشِيًّا
फिर ज़करिया (अपने इबादत के) हुजरे से अपनी क़ौम के पास (हिदायत देने के लिए) निकले तो उन से इशारा किया कि तुम लोग सुबह व शाम बराबर उसकी तसबीह (व तक़दीस) किया करो
يَا يَحْيَىٰ خُذِ الْكِتَابَ بِقُوَّةٍ ۖ وَآتَيْنَاهُ الْحُكْمَ صَبِيًّا
(ग़रज़ यहया पैदा हुए और हमने उनसे कहा) ऐ यहया किताब (तौरेत) मज़बूती के साथ लो
وَحَنَانًا مِنْ لَدُنَّا وَزَكَاةً ۖ وَكَانَ تَقِيًّا
और हमने उन्हें बचपन ही में अपनी बारगाह से नुबूवत और रहमदिली और पाक़ीज़गी अता फरमाई
وَبَرًّا بِوَالِدَيْهِ وَلَمْ يَكُنْ جَبَّارًا عَصِيًّا
और वह (ख़ुद भी) परहेज़गार और अपने माँ बाप के हक़ में सआदतमन्द थे और सरकश नाफरमान न थे
وَسَلَامٌ عَلَيْهِ يَوْمَ وُلِدَ وَيَوْمَ يَمُوتُ وَيَوْمَ يُبْعَثُ حَيًّا
और (हमारी तरफ से) उन पर (बराबर) सलाम है जिस दिन पैदा हुए और जिस दिन मरेंगे और जिस दिन (दोबारा) ज़िन्दा उठा खड़े किए जाएँगे

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