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Surah Ash-Shura Ayahs #34 Translated in Hindi

وَمَا أَصَابَكُمْ مِنْ مُصِيبَةٍ فَبِمَا كَسَبَتْ أَيْدِيكُمْ وَيَعْفُو عَنْ كَثِيرٍ
और जो मुसीबत तुम पर पड़ती है वह तुम्हारे अपने ही हाथों की करतूत से और (उस पर भी) वह बहुत कुछ माफ कर देता है
وَمَا أَنْتُمْ بِمُعْجِزِينَ فِي الْأَرْضِ ۖ وَمَا لَكُمْ مِنْ دُونِ اللَّهِ مِنْ وَلِيٍّ وَلَا نَصِيرٍ
और तुम लोग ज़मीन में (रह कर) तो ख़ुदा को किसी तरह हरा नहीं सकते और ख़ुदा के सिवा तुम्हारा न कोई दोस्त है और न मददगार
وَمِنْ آيَاتِهِ الْجَوَارِ فِي الْبَحْرِ كَالْأَعْلَامِ
और उसी की (क़ुदरत) की निशानियों में से समन्दर में (चलने वाले) (बादबानी जहाज़) है जो गोया पहाड़ हैं
إِنْ يَشَأْ يُسْكِنِ الرِّيحَ فَيَظْلَلْنَ رَوَاكِدَ عَلَىٰ ظَهْرِهِ ۚ إِنَّ فِي ذَٰلِكَ لَآيَاتٍ لِكُلِّ صَبَّارٍ شَكُورٍ
अगर ख़ुदा चाहे तो हवा को ठहरा दे तो जहाज़ भी समन्दर की सतह पर (खड़े के खड़े) रह जाएँ बेशक तमाम सब्र और शुक्र करने वालों के वास्ते इन बातों में (ख़ुदा की क़ुदरत की) बहुत सी निशानियाँ हैं
أَوْ يُوبِقْهُنَّ بِمَا كَسَبُوا وَيَعْفُ عَنْ كَثِيرٍ
(या वह चाहे तो) उनको उनके आमाल (बद) के सबब तबाह कर दे

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