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Surah An-Nahl Ayahs #103 Translated in Hindi

إِنَّهُ لَيْسَ لَهُ سُلْطَانٌ عَلَى الَّذِينَ آمَنُوا وَعَلَىٰ رَبِّهِمْ يَتَوَكَّلُونَ
इसमें शक नहीं कि जो लोग ईमानदार हैं और अपने परवरदिगार पर भरोसा रखते हैं उन पर उसका क़ाबू नहीं चलता
إِنَّمَا سُلْطَانُهُ عَلَى الَّذِينَ يَتَوَلَّوْنَهُ وَالَّذِينَ هُمْ بِهِ مُشْرِكُونَ
उसका क़ाबू चलता है तो बस उन्हीं लोगों पर जो उसको दोस्त बनाते हैं और जो लोग उसको ख़ुदा का शरीक बनाते हैं
وَإِذَا بَدَّلْنَا آيَةً مَكَانَ آيَةٍ ۙ وَاللَّهُ أَعْلَمُ بِمَا يُنَزِّلُ قَالُوا إِنَّمَا أَنْتَ مُفْتَرٍ ۚ بَلْ أَكْثَرُهُمْ لَا يَعْلَمُونَ
और (ऐ रसूल) हम जब एक आयत के बदले दूसरी आयत नाज़िल करते हैं तो हालॉकि ख़ुदा जो चीज़ नाज़िल करता है उस (की मसलहतों) से खूब वाक़िफ है मगर ये लोग (तुम को) कहने लगते हैं कि तुम बस बिल्कुल मुज़तरी (ग़लत बयान करने वाले) हो बल्कि खुद उनमें के बहुतेरे (मसालेह को) नहीं जानते
قُلْ نَزَّلَهُ رُوحُ الْقُدُسِ مِنْ رَبِّكَ بِالْحَقِّ لِيُثَبِّتَ الَّذِينَ آمَنُوا وَهُدًى وَبُشْرَىٰ لِلْمُسْلِمِينَ
(ऐ रसूल) तुम (साफ) कह दो कि इस (क़ुरान) को तो रुहलकुदूस (जिबरील) ने तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से हक़ नाज़िल किया है ताकि जो लोग ईमान ला चुके हैं उनको साबित क़दम रखे और मुसलमानों के लिए (अज़सरतापा) खुशखबरी है
وَلَقَدْ نَعْلَمُ أَنَّهُمْ يَقُولُونَ إِنَّمَا يُعَلِّمُهُ بَشَرٌ ۗ لِسَانُ الَّذِي يُلْحِدُونَ إِلَيْهِ أَعْجَمِيٌّ وَهَٰذَا لِسَانٌ عَرَبِيٌّ مُبِينٌ
और (ऐ रसूल) हम तहक़ीक़तन जानते हैं कि ये कुफ्फार तुम्हारी निस्बत कहा करते है कि उनको (तुम को) कोई आदमी क़ुरान सिखा दिया करता है हालॉकि बिल्कुल ग़लत है क्योंकि जिस शख्स की तरफ से ये लोग निस्बत देते हैं उसकी ज़बान तो अजमी है और ये तो साफ साफ अरबी ज़बान है

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