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Surah Al-Isra Ayah #34 Translated in Hindi

وَلَا تَقْرَبُوا مَالَ الْيَتِيمِ إِلَّا بِالَّتِي هِيَ أَحْسَنُ حَتَّىٰ يَبْلُغَ أَشُدَّهُ ۚ وَأَوْفُوا بِالْعَهْدِ ۖ إِنَّ الْعَهْدَ كَانَ مَسْئُولًا
(कि क़त्ल ही करे और माफ न करे) और यतीम जब तक जवानी को पहुँचे उसके माल के क़रीब भी न पहुँच जाना मगर हाँ इस तरह पर कि (यतीम के हक़ में) बेहतर हो और एहद को पूरा करो क्योंकि (क़यामत में) एहद की ज़रुर पूछ गछ होगी

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