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Surah Al-Furqan Ayahs #67 Translated in Hindi

وَعِبَادُ الرَّحْمَٰنِ الَّذِينَ يَمْشُونَ عَلَى الْأَرْضِ هَوْنًا وَإِذَا خَاطَبَهُمُ الْجَاهِلُونَ قَالُوا سَلَامًا
और (ख़ुदाए) रहमान के ख़ास बन्दे तो वह हैं जो ज़मीन पर फिरौतनी के साथ चलते हैं और जब जाहिल उनसे (जिहालत) की बात करते हैं तो कहते हैं कि सलाम (तुम सलामत रहो)
وَالَّذِينَ يَبِيتُونَ لِرَبِّهِمْ سُجَّدًا وَقِيَامًا
और वह लोग जो अपने परवरदिगार के वास्ते सज़दे और क़याम में रात काट देते हैं
وَالَّذِينَ يَقُولُونَ رَبَّنَا اصْرِفْ عَنَّا عَذَابَ جَهَنَّمَ ۖ إِنَّ عَذَابَهَا كَانَ غَرَامًا
और वह लोग जो दुआ करते हैं कि परवरदिगारा हम से जहन्नुम का अज़ाब फेरे रहना क्योंकि उसका अज़ाब बहुत (सख्त और पाएदार होगा)
إِنَّهَا سَاءَتْ مُسْتَقَرًّا وَمُقَامًا
बेशक वह बहुत बुरा ठिकाना और बुरा मक़ाम है
وَالَّذِينَ إِذَا أَنْفَقُوا لَمْ يُسْرِفُوا وَلَمْ يَقْتُرُوا وَكَانَ بَيْنَ ذَٰلِكَ قَوَامًا
और वह लोग कि जब खर्च करते हैं तो न फुज़ूल ख़र्ची करते हैं और न तंगी करते हैं और उनका ख़र्च उसके दरमेयान औसत दर्जे का रहता है

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