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Surah Al-Araf Ayahs #5 Translated in Hindi

7:1
المص
अलिफ़ लाम मीम स्वाद
7:2
كِتَابٌ أُنْزِلَ إِلَيْكَ فَلَا يَكُنْ فِي صَدْرِكَ حَرَجٌ مِنْهُ لِتُنْذِرَ بِهِ وَذِكْرَىٰ لِلْمُؤْمِنِينَ
(ऐ रसूल) ये किताब ख़ुदा (क़ुरान) तुम पर इस ग़रज़ से नाज़िल की गई है ताकि तुम उसके ज़रिये से लोगों को अज़ाबे ख़ुदा से डराओ और ईमानदारों के लिए नसीहत का बायस हो
7:3
اتَّبِعُوا مَا أُنْزِلَ إِلَيْكُمْ مِنْ رَبِّكُمْ وَلَا تَتَّبِعُوا مِنْ دُونِهِ أَوْلِيَاءَ ۗ قَلِيلًا مَا تَذَكَّرُونَ
तुम्हारे दिल में उसकी वजह से कोई न तंगी पैदा हो (लोगों) जो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से तुम पर नाज़िल किया गया है उसकी पैरवी करो और उसके सिवा दूसरे (फर्ज़ी) बुतों (माबुदों) की पैरवी न करो
7:4
وَكَمْ مِنْ قَرْيَةٍ أَهْلَكْنَاهَا فَجَاءَهَا بَأْسُنَا بَيَاتًا أَوْ هُمْ قَائِلُونَ
तुम लोग बहुत ही कम नसीहत क़ुबूल करते हो और क्या (तुम्हें) ख़बर नहीं कि ऐसी बहुत सी बस्तियाँ हैं जिन्हें हमने हलाक कर डाला तो हमारा अज़ाब (ऐसे वक्त) आ पहुचा
7:5
فَمَا كَانَ دَعْوَاهُمْ إِذْ جَاءَهُمْ بَأْسُنَا إِلَّا أَنْ قَالُوا إِنَّا كُنَّا ظَالِمِينَ
कि वह लोग या तो रात की नींद सो रहे थे या दिन को क़लीला (खाने के बाद का लेटना) कर रहे थे तब हमारा अज़ाब उन पर आ पड़ा तो उनसे सिवाए इसके और कुछ न कहते बन पड़ा कि हम बेशक ज़ालिम थे

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